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रोने से अगर मिलती चाहत इस ज़माने मैं तो आज एक सहर होता मुझ से वफ़ा निभाने के लिए
।।***क्या बुरा है के मैं इक़रार मोहब्बत करलो वो लोग वैसे तो कहते है गुनहगार हूँ मैं***।।
बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ, मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।.. ।।
“मुझे इश्क के लिए तेरी जरुरत नहीं। कुछ यादें और कुछ तस्वीरे छुपा रखी है दिल में।
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।।**मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था
रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया**।।
।।***वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल, बहुत उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी।….. !!***।।
।।***तेरे बाद मैंने मोहब्बत को जब भी लिखा गुनाह लिखा***।।
तुम बहुत दिल नशीन थी, पर जबसे किसी और की हो गयी हो, तबसे ज़हर लगती हो.।
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किस्मत और दिल की आपस में कभी नहीं बनती, क्यूंकि जो दिल में होता है वो कभी किस्मत में नहीं होता है.।”
“अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े, हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।…।”
तुम मुझे जितनी इज़्ज़त दे सकते थे दे दी अब तुम देखो मेरा सबर और मेरी ख़ामोशी
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खामोशियां बोल देती है, जिनकी बाते नहीं होती, इश्क वो भी करते हैं, जिनकी मुलाकाते नहीं होती।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल, उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी।🙏
“दिल को बुझाने का बहाना कोई दरकार तो था, दुःख तो ये है तेरे दामन ने हवायें दी हैं।”।
“तेरी महेफिल से उठे थे किसी को खबर तक ना थी बस तेरा मोड़ मोड़ कर देखना हमें बदनाम कर गया”
“न हो जो बस मैं कभी इसका वादा नहीं करते कुछ लोग कह कर भी दिखावा नहीं करते
बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी, फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी।.
इस दुनिया में वफ़ा करने वालो की कमी नहीं है बस उसी से हो जाता है जिसे अपने की क़दर नहीं…।
“देखी है बेरुखी की आज हम ने इन्तेहाँ, हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल से उठ गए। .
मुझे भी याद रखना जब लिखो तारीख वफ़ा की मैंने भी लुटाया है मोहब्बत मैं सकूँ अपना।।
चेहरों को बेनक़ाब करने में ए बुरे वक़्त तेरा हज़ार बार शुक्रिया
“कभी बहुत थे हमारे भी चाहने वाले, और एक दिन इश्क हुआ और हम लावारिश हो गए.”
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अल्फ़ाज़ सिर्फ चुभते हैं खामोशियां मार देते हैं…
ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक, न लो इंतकाम मुझसे मेरे साथ-साथ चल के।।?
हाँ याद आया इसके आखरी अलफ़ाज़ ये थे अगर जी सको तो जी लेना अगर मर जाओ तो अच्छा है।
एक पल मैं जो बर्बाद कर देते है दिल की बस्ती को फ़राज़ वो लोग दिखने में बड़े मासून होते है
आखिर ज़िन्दगी ने पूछ ही लिया कहा है वो शख्स जो तेरी ज़िन्दगी में सब से अज़ाज़ शक था
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो, मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।|
मुझे छोड़कर वो खुश है, तो शिकायत कैसी? अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं, तो मोहब्बत कैसी?
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी, कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा।!
पयूँ न कहो कि क़िस्मत की बात है मेरी तन्हाई में कुछ तुम्हारा भी हाथ है।
मुद्दतों बाद भी नहीं मिलते हम जैसे नायाब लोग तेरे हाथ क्या लग गए तुमने तो हमे आम समझ लिया
तेरी मुश्कान तारे लहेज़ा तेरे मासूम से अलफ़ाज़ किया कहू बस बहुत याद आते हो तुम.
मेरी हर शायरी दिल के दर्द को करता बयां तुम्हारी आँख न भर आये कही पढ़ते पढ़ते |
बेवजह छोड़ गए हो बस इतना बताओ सुकून मिला की नहीं
कुछ तन्हाईयां वेबजह नही होतीं, कुछ दर्द आवाज़ छीन लिया करतें है।!
वो रोये मेरी मौत पर मुझे जगाने के लिये, कितना अच्छा होता उस वक्त मेरी ज़िंदगी में रो देते मुझे पाने के लिए।!
पल-पल तरसे हम जिस पल के लिए। वो पल भी आया जिंदगी में, बस एक पल के लिए।
नींद तो दर्द के बिस्तर पे भी आ सकती है उनकी आगोश में सर हो ये ज़रूरी तो नहीं
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।…।
मुझे तो उस पोरे जहाँ मैं तुम से मोहब्बत है या तो मेरा इम्तेहान लेलो या मेरा ऐतबार करलो,
हो जाये गुफ़्तगू अगर तेरी निगाहों से वासी तेरी सादगी की कसम हम जबान से कलाम करना छोड़ देंगे…
खुवाबों के टूटने से दिल के टूटने तक वो दुःख बताओ जो हम ने सहा है
खेलने दो उन्हें जब तक जी ना भर जाये। मोहब्बत चार दिन की थी, तो शौक कितने दिन का होगा।
पिता हार कर बाजीं हमेशा मुस्कुराया हैं, शतरंज का उस जीत को मैं अब समझ पाया है,!!
इन्हे अपना भी नहीं सकता मागत इतना क्या कम है कुछ मुद्दतें हसीं खवाबो मैं खो कर जी लिया हमने
इक तेरे बगैर ही न गुजरेगी ये ज़िंदगी मेरी, बता मैं क्या करूँ सारे ज़माने की ख़ुशी लेकर।
पअब डर नहीं लगता कुछ खोने को मैने ज़िन्दगी में ज़िन्दगी को खोया है.
तुम एक बार रूठ कर तो देखो, हम जान भी दे देंगे तुम्हे मनाने के लिए।.?
तुम्हारे बाद न तकमील हो सकी अपनी, तुम्हारे बाद अधूरे तमाम ख्वाब लगे।…
तू बदनाम ना हो इसीलिए जी रहा हूँ मैं, वरना मरने का इरादा तो रोज होता है।.