Emotional shayari collection for Whatsapp and Facebook
यह भी देखें-
कोई मजबूरी होगी जो वो याद नहीं करते, संभल जा ऐ दिल, तुझे रोने का बहाना चाहिए।
जब कभी फुर्सत मिले मेरे दिल का बोझ उतार दो, मैं बहुत दिनों से उदास हूँ मुझे कोई शाम उधार दो।
वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल, बहुत उदास करती हैं मुझको निशानियाँ तेरी। ।
एक वो वक़्त था जिसने मुझे घाव दिया था और एक आज का वक़्त है जो मेरे घाव भर रहा है
आंसू छुपा रहा हूँ तुमसे, दर्द बताना नहीं आता, बैठे बैठे भीग जाती है पलकें, दर्द छुपाना नहीं आता.
जरुरत से ज्यादा वक़्त और इज़्ज़त देने से लोग आपको गिरा हुआ समझने लगते है
"खामोशियाँ वही रही ता-उम्र दरमियाँ, बस वक़्त के सितम और हसीन होते गए..."
हरवक़्त तेरे आने की आस रहती है! हर पल तुझसे मिलने की प्यास रहती है! सब कुछ है यहाँ बस तू नही! इसलिए शायद ये जिंदगी उदास रहती है! .।
वो ये कह कर चल दिए, रोता तो हर कोई है। तो क्या हम सबके हो गए।
चलो अब जाने भी दो क्या करोगे दास्ताँ सुनकर, ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं और बयाँ हमसे होगा नहीं।
अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े, हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।
तुम मौसम की तरह बदल गए और मैं फसलों की तरह बर्बाद हो गया
ख़ामोशी ही बनी रही पूरी उम्र हमारे दरमियान, बस वक़्त के साथ सितम और हसीं होते गए.
मुद्दत हो गई कोई हसीन ख्वाब देखे, जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा.
"थक गयी हूँ मैं दर्द छुपाते छुपाते और लोग कहते है मैं मुस्कुराती बहुत हूँ.."
"हम पर जो गुजरी है, तुम क्या सुन पाओगे, नाजुक सा दिल रखते हो, रोने लग जाओगे.."
काश यह जालिम जुदाई न होती! ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती! न हमउनसे मिलते न प्यार होता! ज़िन्दगी जोअपनी थी वो परायी न होती! !
गुजारिश हमारी वह मान न सके, मज़बूरी हमारी वह जान न सके, कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे, जीते जी जो हमें पहचान न सके. ।
यह भी देखें-
पास आकर सभी दूर चले जाते हैं; अकेले थेहम, अकेले ही रह जाते हैं; इस दिल का दर्द दिखाएँ किसे; मल्हम लगाने वाले ही जखम दे जाते हैं! .
"यही सोचकर सफाई नहीं दी हमने.. इल्ज़ाम भले ही झूठे हैं पर लगाए तो तुमने हैं.." ।।
ख्वाब तो मीठे देखे थे। ताज्जुब है, आंखों का पानी खारा कैसे हो गया?
मिजाज को बस तल्खियाँ ही रास आईं, हम ने कई बार मुस्कुरा कर देख लिया।
चल मेरे हमनशीं अब कहीं और चल, इस चमन में अब अपना गुजारा नहीं, बात होती गुलों तक तो सह लेते हम, अब काँटों पे भी हक हमारा नहीं।
उस पर हमारा असर होता भी कैसे उसपे तो असर किसी और का था
कटीली झाड़ियों पर ठहरी हुई बूंदों ने बस यही बताया है, पतो ने साथ छोड़ा तो क्या…. कुदरत ने तुझे मोतियों से सजाया है.!!
जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी, एक कन्धा तो तेरे वादों का भी बनता है…
दिल टूटा तो एक आवाज आई! चीर केदेखा तो कुछ चीज निकल आई! सोचा क्या होगा इस खली दिल में! लहू सेधोकरदेखा, तो तेरी तस्वीर निकल आई!
"हज़ारो बातें मिल कर एक राज़ बनता है सात सुरों के मिलने से साज़ बनता है आशिक़ के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता और हसीनाओ के मरने पर ताज़ बनता है.." |
आता ही नहीं उस नादान के बगैर जीना मुझको, काश उस शख्स ने मरना भी सिखा दिया होता.
जो बीती है हम पर वो तुम सुन नहीं पाओगे नाज़ुक सा दिल रखते हो तुम, रोने लग जाओगे
हाथ तो हाम बस बड़े बुड्ढया ते राम-राम करण 😎खातर ए जोड़या करे, नी त हाम वे सा जो मौत न भी घुंगरू परहा क नचा दिया करे हां। सॉलिड जाट
अगर कभी फुर्सत मिले तो, यह सोचना जरूर, मुझ जैसा आवारा लड़का, क्यों तेरी इतनी परवा करता था!!!
कौन बुला रहा है मुझे यूँ उस तरफ क्या कोई मेरे लिए भी उदास बेकरार है
मांगा नहीं था ज्यादा कुछ, जो मेरा सब कुछ छीन लिया। बस दुआ में एक शख्स को ही, तो हमेशा मांगा करता था।
यह भी देखें-
मेरी कोशिश कभी कामयाब ना हो सकी, न तुझे पाने की न तुझे भुलाने की।
पत्थर समझ कर पाँव से ठोकर लगा दी, अफसोस तेरी आँख ने परखा नहीं मुझे, क्या क्या उमीदें बांध कर आया था सामने, उसने तो आँख भर के भी देखा नहीं मुझे। !
एक ये ख्वाहिश के कोई ज़ख्म न देखे दिल का, एक ये हसरत कि कोई देखने वाला तो होता।
मेरी आँखों को तब आराम आया जब मेरा महबूब सदा के लिए मेरे पास आया
कहते है हर रिश्ते का एक अर्थ होता है हर अर्थ का एक तर्क होता है ज़िन्दगी में न करना नफरत किसी से क्यूंकि हर रिश्ते में दर्द छिपा होता है
"नसीब की बारिश कुछ इस तरह से होती रही मुझ पर ख्वाइशें सूखती रही और पलकें भीगती रही.."
किसी के दिल का दर्द किसने देखा है; देखा है, तोसिर्फ चेहरा देखा है; दर्द तोतन्हाई मे होता है; लेकिन तन्हाइयो मे लोगों ने हमे हँसते हुए देखा है!
वो नहीं आती पर निशानी भेज देती है ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है कितने मीठे हे उसकी यादो के मंज़र, कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है!! …
दर्द से दोस्ती हो गई यारो; जिंदगी बेदर्द हो गई यारो; क्या हुआ, जो जल गया आशियाना हमारा; दूर तकरोशनी तो हो गई यारो!
ना गम से खिलवाड़ किया ना दर्द से इंकार किया अपने ही जिगर को जख्मी तेरी यादों से बार बार किया
बस हुआ ये की, उसने जरा तकल्लुफ़ से बात की और हम ने रो रो कर दुपट्टा भिगो दिया
जम कर लूटा उस पतंग को ज़माने ने जो पहले उड़ रही थी और बाद में कट गयी
मालूम है, कि मुझे ये मुमकिन नहीं, मगर आस सी रहती है, कि तुम याद करोगे।
बिखरा हुआ हूँ बरसो से इसी इंतजार में, कोई तो होगा जो समेटने आएगा मुझे।
हम तो झुके सम्मान दिखने के लिए पर लोग हमारी पीठ को पायदान समझ गुज़र गए
तुम याद करो या ना करो, इस दिल को तुम्हारी याद जरुर आती हैं।
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको, खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।