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हमे जो भी हमदर्द मिला उस से हमे खुशियां नहीं बस दर्द मिला।
दिन ना लगाए उसने ये दिन दिखाने में, ज़रा भी नहीं तरस खाया उसने दिल दुखाने में।
दोबारा इश्क़ हुआ तब भी तुझ ही से होगा खफा हूं मैं बेवफा नहीं.. ।
क्या फायदा रोने से, जो प्यार नहीं समझ सकते, वो दर्द क्या समझेंगे।
किसी ने पूछा तुम उसे याद करते ही क्यों हो जो तुम्हे याद नहीं करता है तड़प कर दिल बोला रिश्ते निभाते वाले मुकाबला नहीं करते।
ना तो हम फिल्मी सितारे है। और ना ही कोई सुपर स्टार, हम तो जाट से , जो जीतें है शान से और 😎 मरतें हैं अपने देश पे।
“ढूंढता रहा इश्क को मैँ दिल की गहराई में, कमबख्त मिला तो सही पर दर्द में तन्हाई में।
दर बदर हर तरफ भटके हम सुकून के लिए सुकून तो ना मिला पर दर्द मिल गया।
आंखों को आप नज़र-अंदाज़ करो, बाक़ी सब ख़ैरियत है यहां !
अधूरे से रहते मेरे लफ्ज़ तेरे ज़िक्र के बिना मानो जैसे मेरी हर शायरी की रूह तुम ही हो
ना दर्द हुआ सीने में, ना माथे पे शिकन आयी, इस बार जो दिल टूटा तो बस चेहरे पे मुस्कान आयी।
“उसी से पूछ लो उसके इश्क की कीमत, हम तो बस उसके भरोसे पर बिक गए।”
तकलीफ तो इस बात से होती है, की जिनसे हम आज भी प्यार करते है, वो भी कभी हमसे प्यार किया करती थी।
जब मिलो किसीसे तो जरा दूर की यारी रखना, अक्सर जान लेवा होते है सिने से लगाने वाले।
“इतना भी आसान नहीं होता अपनी जिन्दगी जी पाना, बहुत लोगो को खटकने लगते है… जब हम खुद को जीने लगते है।” !!”
वाह क्या कहने तुम्हारे तुम भी क्या अंदाज़ रखते हो, पहले नज़र तक नहीं हटती थी हम से तुम्हारी अब तुम ही हमे नज़रअंदाज़ करते हो।
खून भी निकलते वक्त मुझे से बोल पड़ा बाहर ही रहने दे तेरे अंदर उलझन बहुत है !
काश बिन कहे मेरे दिल की बात, तुम्हारा दिल समझ जाता तुम मेरी हो जाती और मैं तुम्हारा हो जाता। ।
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हमारी क़िस्मत में लिखा था रुना, में अगर मुस्कुराता भी हूँ तो आंसू निकल आते हैं | .
“आपसे जो भी झुक कर मिलता होगा, यकीनन उसका कद आपसे ऊँचा होगा।” ।।
कभी-कभी दर्द इस हद तक बढ़ जाता है, की "रोते-रोते" सो जाने के अलावा और कोई चारा ही नही बचता।
मुझे नफरत है उस वक़्त से, जब "रोना" ही "बेहतर महसूस" करने का एकलौता तरीका बन जाता है।
“जो लोग अन्दर से मर जाते है, अक्सर वही लोग दूसरो को जीना सिखाते है।”
आँखों में हर पल आंसू हैं , चाहत का क्या खुब सिला दिया है मुझे |
आया तुम्हारा ख्याल तो आंसूं छलक पड़े, तुम्हारा ख्याल दिल के कितने क़रीब था |
शीशा तो टूट कर, अपनी कशिश बता देता है, दर्द तो उस पत्थर का हैं, जो टुटने के काबिल भी नही।
जब तक खुद पे न गुजरे एहसास और जज्बात मजाक लगते हैं।
सिर्फ दिल नहीं उसने मेरी उम्मीद, ख़्वाब और रिश्ता सब कुछ चूर-चूर कर दिया। |
देखना चाहता था मैं भी अपनी क़िस्मत के पन्नों पर आखिर लिखा क्या है जब पलटा पन्नों को और पढ़ा तो देखा खुदा ने बड़ी बेदर्दी से उसमे दर्द लिखा है।
मोहब्बत करनी है तो दर्द के जैसे करो, जिससे मोहब्बत हो जाती है, कमबख्त उसे छोड़ती ही नहीं।
नगरर-नगर घूमा पर कोई खबर नहीं मिली, उससे मोहोब्बत क्या मिलती हमे उनसे तो हमे कदर तक ना मिली।
वही तू और वही मैं … फिर भी कितना कुछ बदल गया है, दरमियाँ तेरे मेरे…..
मेरी आँखों से गिरे हैं चन्द लम्हे , तेरे लिये हैं पानी मेरे लिये हैं आंसूं |
बेवक्त,बेवजह, बेहिसाब सी बेरुखी तेरी , हमें आंसूं बहाने का बहाना दे जाती है |
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जिन्हें मालूम है कि अकेलापन क्या होता है, वो लोग हमेशा दूसरो के लिए हाजिर रहते है।”
आंसू वे शब्द हैं, जिन्हें ना तो जुबां बयां कर सकती और ना ही दिल झेल सकता है !
वक्त अच्छा था तब हमारी गलती मजाक लगती थी, अब वक्त बुरा आया तो हमारा मजाक भी गलती लगती है।
उसकी महफ़िल में मेरी आँख से आंसूं ना रुका , रुक गई साँस मगर दिल का दर्द ना रुका |
क्या अजीब सबूत माँगा उसने मेरी मोहब्बत का…..!! कि मुझे भूल जाओ तो मानूं कि तुम्हे मुझसे मोहब्बत है
कभी ये मत सोचना कि याद नहीं करते हम, रात की आखिरी और सुबह की पहली सोच हो तुम
कभी ऐसा ख़्वाब में भी नहीं देखा था की ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा।
आंसूओ का कोई वजन नहीं होता, पर बाहर निकल जाने पर मन काफी हल्का सा लगने लगता है। …
“दर्द के सिवा कुछ नहीं मिला मुझे ज़माने से अब थक सा गया हु बेवजह मुस्कुराने से।
दिल नहीं करता अब सुकून के साथ बैठने का जब से हम दिल दर्द से लगा बैठे हैं।
“अपने अंदर दर्द को कुछ यु छिपा रहे है, आसु आखो में रोक कर जबरन मुस्कुरा रहे है।
हमने ही उनके लिए अपने उसूलों को गिरा दिया था अब उनका हमारा फायदा उठाना तो लाज़मी था।
वो मुझे जो जान कहा करता है अब दूसरी लड़कियों के संग घूमते वक़्त मुझे अनजानों की तरह मिलता है।
कया लिखूँ , अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तों…… वो लोग ही बिछड़ गए. जो जिंदगी हुआ करते थे…..
दर्द मोहब्बत का ऐ दोस्त बहुत खूब होगा, न चुभेगा.. न दिखेगा.. बस महसूस होगा।।
“वो मासूम रोटी चुरा कर चोर बन गया, और लोग मुल्क खा गए, कानून लिखते-लिखते।”
मैं अब लोगों पर भरोसा नहीं करता हूं। क्योंकि मैं निराश होकर थक चुका हूं